सूर्य में गुरु की अंतर्दशा फल:-
=> केन्द्र त्रिकोण, मित्र वर्गस्थ गुरु हो तो सूर्य की दशा में गुरु की अंतर्दशा
आने पर विवाहोत्सवजन्य सुख, राजदर्शन, धन- धान्यादिलाभ तथा
पपुत्रप्राप्ति, महाराजप्रसाद, से अभिष्टकार्यो की संसिद्धि, तथा
प्रियवस्त्रादि का लाभ, ये सभी होते है।
=> वही गुरु भाग्येश या राज्येश हो तो राज्यलाभ, नरवाहन की प्राप्ति होती
है। स्थान लाभ, सुखाधिक्य होते है।
=> दशेश से शुभस्थान में गुरु रहे तो भाग्यवृद्धि, दान धर्म क्रिया में
आसिक्त, दे गुरुभक्ति, मानसिक तुष्टि तथा पूण्य कार्य की संसिद्धि होती
है।
=> दशेश से 6,8 या नीचस्थान में पापयुक्त गुरु हो तो स्त्री पुत्र को कष्ट,
स्वयं भी शारीरिक पीड़ा, महाभीति, राजकोप, अभीष्ट वस्तु तथा
पापमूलक द्रव्य का विनाश, मनोव्यथा ये सभी होते है
उपाय=> शांति के लिए स्वर्ण दान, इष्टमंत्र जप, कपिला गायो का दान
करना चाहिए।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए