सूर्य में शनि की अंतर्दशा फल:-
=> लग्न से केंद्र या त्रिकोणस्थ शनि हो तो सूर्य की महादशा में शनि की
अंतर्दशा आने पर स्वल्पधान्यजसुख, घर में शुभप्रद विवाहादि शुभ कार्य
होते है।
=> वही शनि अपने उच्च, स्वभवन या मित्रग्रह में हो तो घर में कल्याण,
सम्पति, राजसम्मान, अनेकविध वस्त्र तथा अर्थ का शुभांगम होता है।
=> दशापति से 8,12 में या पापयुक्त शनि हो तो उनकी अंतर्दशा में बात,
शूल, महाव्याधि ज्वरातिसार, आदि रोगों से पीड़ा, बन्धन, कार्यहानि,
धन नाश, महाभय, एकाएक कलह, तथा दामादो के साथ विरोध होता
है।
=> सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा आने पर आरम्भ में मित्रहानी,
अंतर्दशा के साथ मे स्वल्पसुख,अन्त में क्लेश, नीचस्थ रहने पर भी ये
फल तथा भ्रमण आदि होते है।
=> शनि यदि द्वितीयेश या सप्तमेश रहे तो उसकी अंतर्दशा में अपमृत्यु का
भय होता है।
उपाय=> शांति के लिए काली गाय, भैंस छाया दान करे।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए