मालिका योगः:

मालिका योगः:- किसी भी भाव से 7 ग्रह 7 भावो में (सू . चं . मं . बु . ब्र. शु . श ) हो तो भाव सम्बन्धी मालिका योग होता है फल- यदि लग्न से लगातार सातो ग्रह सात भावो में हो , तो लग्न मालिक योग कहलाता है। यह योग होने पर जातक…

महायोग्य योगः-

महायोग्य योगः- पुरुष की कुण्डली हो, दिन का जन्म हो तथा सूर्य, चन्द्र और लग्न अयुग्म राशियों (1,3,5,7,9 व् 11) में हो। इसी प्रकार स्त्री की कुण्डली हो, रात्रि का जन्म हो तथा सूर्य, चन्द्र और लग्न युग्म राशियों (2, 4, 6, 10, 12) पर हो तो महायोग्य होता है। फल:- इस योग में जन्म…

देवगुरु ब्रहस्पति का वृश्चिक राशि में गोचर :-

देवगुरु ब्रहस्पति का वृश्चिक राशि में गोचर :-   देवगुरु ब्रहस्पति को 9 ग्रहो मे से सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है यह साल मे एक बार एक राशि से दूसरी राशि मे गोचर करता है जिसके हर राशि मे कुछ शुभ अशुभ फल होते है आइये देखते है की देवगुरु आपकी राशि मे क्या…

नवरात्रि :- शक्ति आराधना का पर्व :-

नवरात्रि :- शक्ति आराधना का पर्व :- ======================= शारदीय नवरात्रि दुर्गा पुजा 10 अक्टूबर 2018 बुधवार, कलश स्थापना घटस्थापना का शुभ मुहूर्त =06.22 से 07.25 तक मुहूर्त की अवधि 01 घंटा 02 मिनट या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता || नमस्तस्ये, नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नमः || अर्थात जो देवी अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल, आकाश,…

काहल योगः

काहल योगः- =नवम भाव का स्वामी और चतुर्थ भाव का स्वामी परस्पर केन्द्र में हो और लग्नेश बलवान हो तो काहल योग होता है। =चौथे भाव का स्वामी अपने उच्च, नीच या स्वराशि पर हो एवं दशम भाव के स्वामी के साथ बैठा हो या उसके द्वारा हो तो काहल योग होता है। फल- काहल…

कैसा रहेगा बुध का तुला में राशि में गोचर :- =========================== 6 अक्टूम्बर 2018 से बुध तुला राशि में प्रवेश कर चूके है यह गोचर आपके जीवन में किस तरह का परिवर्तन लाएगा और आपकी राशि पर इस का क्या प्रभाव रहेगा उसे वर्णित किया जा रहा है | मेष राशि :- बुध के अपने…

पूर्णायु योगः

पूर्णायु योगः- यदि केन्द्र स्थान शुभग्रहों से युक्त हो, लग्नेश शुभग्रह के साथ बैठा हो तथा गुरु द्वारा देखा जाता हो, तो पूर्णायु योग होता है। =यदि लग्नेश केन्द्र स्थान में हो तथा उसके साथ गुरु और शुक्र बैठे हो तो  उपयुक्त योग बनता है। =यदि तीन ग्रह उच्चराशि के हो तथा लग्नेश व् अष्टमेश…

शुभग्रह कृतोरिष्ट भंग योग

शुभग्रह कृतोरिष्ट भंग योग:- बृहस्पति, शुक्र और बुध इनमे से एक भी ग्रह बलवान होकर केन्द्र में हो तथा उसका पापग्रहों से सम्बन्ध न हो , तो उपयुक्त योग बनता है। फल- उत्पन्न अनिष्ट के शांत होने पर शुभग्रह जातक को अपने से सम्बन्धित शुभफल प्रदान करते है। नोटः- शुभग्रह छह स्थितियों में अनिष्ट करते…

लग्नेश कृतोरिष्ट भंग योगः-

लग्नेश कृतोरिष्ट भंग योगः- यदि लग्नेश बलवान और पूर्ण अंशो में हो, शुभग्रहों से युत या दृष्ट हो, केन्द्र में स्थित हो, तो लग्नेश कृतोरिष्ट भंग योग होता है। फल:- कुण्डली में लग्नेश से अरिष्ठ हो या लग्नेश 6, 8, 11 वें भाव में हो तो उपयुक्त स्थिति होने पर जातक की कुण्डली का अरिष्ठ…

शुभग्रह कृतोरिष्ट भंग योग:

शुभग्रह कृतोरिष्ट भंग योग:- बृहस्पति, शुक्र और बुध इनमे से एक भी ग्रह बलवान होकर केन्द्र में हो तथा उसका पापग्रहों से सम्बन्ध न हो, तो उपयुक्त योग बनता है। फल:- उत्पन्न अनिष्ट के शान्त होने पर शुभग्रह जातक को अपने से सम्बन्धित शुभफल प्रदान करते है। नोटः- शुभग्रह छह स्थितियों में अनिष्ट करते है।…

प्रनतपाल रघुनायक करुना सिंधु खरारि । गएँ सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि ॥ भावार्थ:- खर के शत्रु श्री रघुनाथजी शरणागतों के रक्षक और दया के समुद्र हैं । शरण जाने पर प्रभु तुम्हारा अपराध भुलाकर तुम्हें अपनी शरण में रख लेंगे॥ राम बिमुख संपति प्रभुताई। जाइ रही पाई बिनु पाई॥ सजल मूल जिन्ह सरितन्ह…

चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योगः-

चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योगः- पूर्ण चन्द्रमा शुभग्रहों या शुभ अंशो में हो, तो कुण्डली में चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योग बनता है। चन्द्रमा वृष या कर्क राशि में हो अथवा मित्रो के ग्रह में, शुभ वर्ग में या शुभग्रहों से दृष्ट हो तो यह योग बनता है। शुक्ल पक्ष की रात्रि में जन्म हो या कृष्ण…

राज्य लक्षण योगः

राज्य लक्षण योगः- गुरु, शुक्र, बुध, और चन्द्रमा चारो ही लग्न में हो या केन्द्र स्थानों में हो, तो राज्य लक्षण योग बनता है। फल:- जिस जातक की कुण्डली में यह योग होता है, वह जीवन में बहुत उन्नति करता है, जीवन की सभी सुख-सुविधाएं भोगता है और पूर्ण वाहन सुख प्राप्त करता है उसका…

चन्द्र-मंगल योग

चन्द्र-मंगल योग:- यदि कुंडली में कही पर भी चन्द्रमा और मंगल एक साथ बैठे हो, तो चन्द्र मंगल योग बनता है। फल:- चन्द्र-मंगल योग रखने वाला व्यक्ति जीवन में धनवान होता है तथा अर्थ-संचय में प्रवीण होता है। उसका सम्पर्क विविध स्त्रियों से रहता है तथा सम्बन्धियो के साथ वह चालाकी भरा व्यवहार करता है…

शश योगः-

शश योगः- यदि शनि अपनी ही राशि का हो कर या मूल त्रिकोण अथवा उच्चराशि का हो कर केंद्र में स्थित हो तो शश योग होता है। फल:- शश या शशक योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति साधारण कुल में जन्म लेकर भी राजनीति-विशारद होता है। उसके घर में नोकर चाकर रहते है तथा सेवको…