कुण्डली से जाने संपन्नता

संसार के इंसान की इच्छा होती है कि वह धन धान्य से परिपूर्ण हो संसार के सभी सुख उसकी मुट्ठी में हो। उसका परिवार सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करे। अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए हर इंसान अपनी सामर्थ्य और योग्यतानुसार परिश्रम भी करता है। परिश्रम करना व्यक्ति के अपने हाथ में है लेकिन परिणाम…

सूर्य का अपनी उच्च राशि मेष में :— ==================== 14 अप्रैल 2018 से सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में गोचर कर रहे है। ” तमसो मा ज्योतिर्गमय ” मेष राशि :- सूर्य के प्रभाव से शरीर स्वस्थ रहता है | वाणी प्रभावशाली रहेगी जिसे दुसरे लोग बड़े ध्यान और आदर के साथ सुनेगे | संतान…

केतु

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल केतु पहला भाव:- यदि केतु पहले भाव में हो स्वास्थ्य हल्का, अस्थिर चित्त, डरपोक, घरेलु चिंता, कामुक, जन्म घर से बाहर, हस्पताल आदि। दूसरा भाव:- यदि केतु दूसरे भाव में हो तो राज दरबार उत्तम, प्रबन्धक, यात्राएं बहुत हो, धन की आवाजाही। किस्मत में उतार चढ़ाव हो। तीसरा…

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल राहु पहला भाव:- यदि राहु पहले भाव में हो तो शक्की, सरकारी सम्बन्ध बुरा, नोकरी में उतार चढ़ाव। बुरे स्वपन आए। सिर के रोग, अपनी ही सोच से खराबी करे। मानसिक विकार, दौलतमंद। जन्म के समय नाना, नानी जीवित। जन्म के समय आंधी आए, वारिश अथवा बदल हो।…

शनि

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल शनि पहला भाव:- यदि शनि पहले भाव में हो तो सफल डॉक्टर होगा। विद्या अधूरी तथा सब काम देर से हो। धैर्य, सन्तोष एवं परिश्रम से अधिकारी, प्रबन्धक, वहमी, धनवान, शनि अपनी राशियों तथा गुरु की राशियों में धन एवं सम्पन्नता देता है। दुर्घटना भय। शारीरिक शक्ति कमजोर।…

शुक्र

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल शुक्र पहला भाव:- शुक्र यदि पहले भाव में हो तो मधुरभाषी, सुन्दर, सुदर्शन, मान सम्मान वाला। सरकारी अधिकारी। धनवान सुखी। एक तरफा विचार का मालिक, कवि, शायर, लेखक। स्त्री स्वास्थ्य श्रीण। सवारी आदि का सुख। पत्नी रोजगार से पहले ही प्राप्त हो जाए। घर से दूर रहना चाहे।…

बुध

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल बुध पहला भाव:- यदि बुध पहले भाव में हो तो विद्वान, नम्र, धनी, मधुरभाषी, गणितज्ञ, व्यापारी, सहायक, युक्तियुक्त, उदार, हंसी मजाक वाला स्वभाव, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला, शराब तथा खाने पीने वाला, ससुराल एवं सन्तान पक्ष बुरा। बुद्धिमान, सुन्दर, मित्रप्रिय, बंधुपोषक होता है। दूसरा भाव:- यदि बुध…

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल मंगल पहला भाव:- यदि मंगल पहले भाव में हो तो भाइयो में बड़ा हो अन्य भाई बहनों हो, बहन धनी, राज दरबार, सरकारी नोकरी में ऊँचा दर्जा, डॉक्टर यदि नहीं तो मेडिकल एवं स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी। विक्त स्वभाव, पुलिस, सेना अधिकारी, जल्दी जल्दी काम करे, उतावला, महत्वाकांशी,…

चन्द्

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल चन्द्र पहला भाव:- यदि चंद्रमा पहले भाव में हो तो यात्रा से लाभ, तरस तरस कर प्राप्त बच्चा, जन्म हस्पताल, बहने अधिक, औरत आने से माता दुखी हो। सुन्दर, दानी, विद्वान, मानसिक गड़बड़, उच्च पद प्राप्त करे। स्वास्थ्य में गड़बड़, विद्या उत्तम। यदि चन्द्रमा लग्न में हो तो…

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल सूर्य

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल सूर्य पहला भाव:- अगुआ, सरकारी सेवा, प्रबन्धक, राज दरबार उत्तम, साहसी अनुशासनपूर्ण पिता की सेवा करने वाला, डॉक्टर, अपने सम्मान का ध्यान रखने वाला, दृढ़प्रतिज्ञ, शरीर पर घाव लगे, अहंकारी, क्रोधी, घमंडी, जिद्दि, स्त्री स्वास्थ्य बुरा, गृहस्थ में गड़बड़, पित्त व् वायु विकार, सिर पर बाल कम। कठिनाइयों…

ग्रहों के दोष को कम करने के लिए वेदों में बहुत सी जड़िया भी बताई गई है

ग्रहों के दोष को कम करने के लिए वेदों में बहुत सी जड़िया भी बताई गई है। ग्रहों के दोष को दूर करने की योग्यता देकर देवताओं द्वारा वनस्पतियो में निहित उन औषधि मणियों को यथासंभव धारण करना, अपने बटुए या गल्ले आदि में रखना या निजी प्रयोग के स्थानों पर सुरक्षित रखना उपयोगी है।…

राहू, केतू के विशेष उपय l विशेष उपाय इस लिए दिये जा रहे है की अनुभव मे आया है की जिन लोगो की जन्म कुंडली मे राहू केतू कर्क मकर मे है या केतू कर्क ओर राहू मकर मे है तो उनको मानसिक, शारीरिक, परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योकि इस समय गोचर…

केतु के प्रभाव

केतु के प्रभाव केतु राहु की तरह यह भी छाया ग्रह ही है। जिस राशि,नक्षत्र अथवा जिस ग्रह के साथ दृष्टि सम्बन्ध बनाता है उसी प्रकार का ही यह प्रभाव करता है। यह शास्त्रो के अनुसार मोक्ष का कारक माना गया है। यह सदा वक्रीय रहता है। राहु केतु एक दूसरे से सातवे रहते है।सारा…

राहु के प्रभाव

राहु के प्रभाव राहु यह राशि चक्र में कल्पित बिन्दु स्थान ही है। इसे शास्त्रो में छाया ग्रह कहा जाता है। जिस राशि नक्षत्र में होता है अथवा जो ग्रह इस पर दृष्टि सम्बन्ध बनाते है उस अनुसार ही फल देता है यह सदा वक्रीय चलता है और राशि चक्र पूरा करने में लगभग 18…

शनि के प्रभाव

शनि के प्रभाव शनि शनि मकर एवं कुंभ राशि का मालिक है तथा स्वभाविक कुण्डली में यह 10 वे और 11 वे भाव का भी स्वामी है। दसवा भाव पिता रोजगार, कारोबार, परिश्रम, मान सम्मान, पर आदि से सम्बंधित है। शनि सब पर प्रभाव डालता है तथा कारक भी है। शनि को सूर्य के चारो…