लग्नेश कृतोरिष्ट भंग योगः-

लग्नेश कृतोरिष्ट भंग योगः- यदि लग्नेश बलवान और पूर्ण अंशो में हो, शुभग्रहों से युत या दृष्ट हो, केन्द्र में स्थित हो, तो लग्नेश कृतोरिष्ट भंग योग होता है। फल:- कुण्डली में लग्नेश से अरिष्ठ हो या लग्नेश 6, 8, 11 वें भाव में हो तो उपयुक्त स्थिति होने पर जातक की कुण्डली का अरिष्ठ…

शुभग्रह कृतोरिष्ट भंग योग:

शुभग्रह कृतोरिष्ट भंग योग:- बृहस्पति, शुक्र और बुध इनमे से एक भी ग्रह बलवान होकर केन्द्र में हो तथा उसका पापग्रहों से सम्बन्ध न हो, तो उपयुक्त योग बनता है। फल:- उत्पन्न अनिष्ट के शान्त होने पर शुभग्रह जातक को अपने से सम्बन्धित शुभफल प्रदान करते है। नोटः- शुभग्रह छह स्थितियों में अनिष्ट करते है।…

प्रनतपाल रघुनायक करुना सिंधु खरारि । गएँ सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि ॥ भावार्थ:- खर के शत्रु श्री रघुनाथजी शरणागतों के रक्षक और दया के समुद्र हैं । शरण जाने पर प्रभु तुम्हारा अपराध भुलाकर तुम्हें अपनी शरण में रख लेंगे॥ राम बिमुख संपति प्रभुताई। जाइ रही पाई बिनु पाई॥ सजल मूल जिन्ह सरितन्ह…

चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योगः-

चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योगः- पूर्ण चन्द्रमा शुभग्रहों या शुभ अंशो में हो, तो कुण्डली में चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योग बनता है। चन्द्रमा वृष या कर्क राशि में हो अथवा मित्रो के ग्रह में, शुभ वर्ग में या शुभग्रहों से दृष्ट हो तो यह योग बनता है। शुक्ल पक्ष की रात्रि में जन्म हो या कृष्ण…

राज्य लक्षण योगः

राज्य लक्षण योगः- गुरु, शुक्र, बुध, और चन्द्रमा चारो ही लग्न में हो या केन्द्र स्थानों में हो, तो राज्य लक्षण योग बनता है। फल:- जिस जातक की कुण्डली में यह योग होता है, वह जीवन में बहुत उन्नति करता है, जीवन की सभी सुख-सुविधाएं भोगता है और पूर्ण वाहन सुख प्राप्त करता है उसका…

चन्द्र-मंगल योग

चन्द्र-मंगल योग:- यदि कुंडली में कही पर भी चन्द्रमा और मंगल एक साथ बैठे हो, तो चन्द्र मंगल योग बनता है। फल:- चन्द्र-मंगल योग रखने वाला व्यक्ति जीवन में धनवान होता है तथा अर्थ-संचय में प्रवीण होता है। उसका सम्पर्क विविध स्त्रियों से रहता है तथा सम्बन्धियो के साथ वह चालाकी भरा व्यवहार करता है…

शश योगः-

शश योगः- यदि शनि अपनी ही राशि का हो कर या मूल त्रिकोण अथवा उच्चराशि का हो कर केंद्र में स्थित हो तो शश योग होता है। फल:- शश या शशक योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति साधारण कुल में जन्म लेकर भी राजनीति-विशारद होता है। उसके घर में नोकर चाकर रहते है तथा सेवको…

सूर्य का कन्या राशि में आगमन 17 सितम्बर 2018 को सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर चुके है आइये देखते है की ये आपकी राशि में क्या शुभ अशुभ फल लेकर आये है | मेष राशि:-छठे भाव में सूर्य के गोचर से विद्या अधयन के समय कठिनाइयां आती है परन्तु छठे स्थान पर बैठा हुआ…

मालव्य योगः-

जब शुक्र अपनी ही राशि का होकर मूल त्रिकोण अथवा उच्चराशि का होकर केन्द्र में स्थित हो, तो मालव्य योग होता है। फल :- मालव्य योग वाले व्यक्ति का शारीरिक ढांचा व्यवस्थित आकर्षक एवं सुन्दर होता है ऐसा जातक पतले होठो वाला, सुदृढ़ एवं लाल वर्ण के शरीर वाला , पतली कमर वाला, चन्द्रमा के…

दशाफल

शुभ चन्द्रदशाफल :- प्रबल पूर्णचन्द्र शुभग्रहयुक्त यदि अपने उच्च, स्वभवन, केन्द्र, त्रिकोण व लाभस्थ हो, बलि कर्मेश, भाग्येश या सुखेश के साथ भी हो तो अत्यधिक ऐश्वर्य, धनधान्यादिसमृद्धि आदि अनेक लाभ होते है। ऐसे जातक के घर में अनेक शुभकार्य, वाहन सौख्य, राजदर्शन, यत्रंत: किसी भी कार्य की सिद्धि तथा घर में सारी समृद्धियॉ, मित्र…

हंस योगः

हंस योगः– बृहस्पति अपनी राशि का होकर या मूल त्रिकोण अथवा उच्चराशि का होकर केन्द्र में स्थित हो, तो हंस योग होता है। फल:- हंस योग रखने वाला जातक अति सुन्दर व्यक्तित्व वाला पुरुष होता है। रक्तिम चेहरा, ऊंची नासिका, सुन्दर चरण , हंसमुख, गोरांग, उन्नत ललाट और विशाल वक्षस्थल वाला ऐसा व्यक्ति मधुरभाषी होता…

शुभ सूर्यमहादशाफल

दशाफल शुभ सूर्यमहादशाफल  जन्म काल में अपने मूलत्रिकोण, स्वभवन, स्वोचराशी या परम उच्च स्थान, केन्द्र, त्रिकोण, लाभस्थान , इनमे से भाग्येश तथा कर्मेश के साथ रहे, स्वयं सूर्य प्रबल हो अपने वर्ग में भी बलिष्ठ हो तो अपने दशाफल में वे धनलाभ आदि परमसौख्य, राजसम्मान आदि को देने वाले होते है। पंचमेश से सम्बन्ध रखने…

शुक्र का तुला राशि मे आगमन

शुक्र का तुला राशि मे आगमन =================== 1 सितंबर 2018 को शुक्र अपनी राशि तुला में प्रवेश कर चूके है जो आपकी राशि पर क्या शुभ अशुभ प्रभाव डालते है आइये देखते है मेष राशि :- आप स्त्री तथा व्यवसाय के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करेंगे |आप को शारीरिक सौंदर्य , मान – प्रतिष्ठा…

भास्कर योगः

भास्कर योगः यदि सूर्य से दूसरे भाव में बुध हो बुध से ग्याहरवें भाव में चन्द्रमा हो तथा चन्द्रमा से 5 वे या 9 वे भाव में बृहस्पति हो, तो भास्कर योग बनता है। फल:- भास्कर योग में जन्म लेने वाला जातक अत्यन्त धनी होता है तथा निरन्तर अर्थ संचय में प्रवृत्त रहता है। अनेक…

इन्द्र योगः-

इन्द्र योगः- यदि चन्द्रमा से तीसरे स्थान पर मंगल हो, मंगल से सप्तम भाव में शनि हो, शनि से सातवें भाव में शुक्र हो और शुक्र से सातवें भाव में गुरु हो तो इन्द्र योग होता है फल:- इन्द्र योग रखने वाला व्यक्ति प्रसिद्ध वीर और रणनीतिज्ञ होता है तथा युद्ध में प्रसिद्धि प्राप्त कर…